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Monday, February 1, 2016

Kalpna saroj ki khani hindi me....

Hello frands aj m apko ek esi aaurat ke bare m batati hu jisne garivi or kismat se ladkar ek achi life hasil ki lekin ye post mene nhi likhi ye post mene achhikhabar .com se li hai.
कल्पना  की उड़ान !
कहानी थोड़ी फ़िल्मी है लेकिन है सौ फीसदी सच्ची। कल्पना सरोज जी का जीवन ‘‘स्लमडॉग मिलेनियर’’ फिल्म को यथार्थ करता हुआ नजर आता है।

Kalpana Saroj की कहानी उस दलित पिछड़े समाज के लड़की की कहानी है जिसे जन्म से ही अनेकों कठिनाइयों से जूझना पड़ा, समाज की उपेक्षा सहनी पड़ी, बाल-विवाह का आघात झेलना पड़ा, ससुराल वालों का अत्याचार सहना पड़ा, दो रुपये रोज की नौकरी करनी पड़ी और उन्होंने एक समय खुद को ख़त्म करने के लिए ज़हर तक पी लिया, लेकिन आज वही कल्पना सरोज 500 करोड़ के बिजनेस की मालकिन है।

आइये जानते हैं कल्पना सरोज के बेहद inspiring life journey के बारे में।पारिवारिक पृष्ठभूमि:सन 1961 में महाराष्ट्र के अकोला जिले के छोटे से गाँव रोपरखेड़ा के गरीब दलित परिवार में कल्पना का जन्म हुआ।

कल्पना के पिता एक पुलिस हवलदार थे और उनका वेतन मात्र 300 रूपये था जिसमे कल्पना के 2 भाई – 3 बहन , दादा-दादी, तथा चाचा जी के पूरे परिवार का खर्च चलता था। पुलिस हवलदार होने के नाते उनका पूरा परिवार पुलिस क्वार्टर में रहता था।
कल्पना जी पास के ही सरकारी स्कूल में पढने जाती थीं, वे पढाई में होशियार थीं पर दलित होने के कारण यहाँ भी उन्हें शिक्षकों और सहपाठियों की उपेक्षा झेलनी पड़ती थी।

कल्पना जी अपने बचपन के बारे में बताते हुए कहती हैं –हमारे गाँव में बिजली नहीं थी…कोई सुख-सुविधाएं नहीं थीं…बचपन में स्कूल से लौटते वक़्त मैं अकसर गोबर उठाना, खेत में काम करना और लकड़ियाँ चुनने का काम करती थी…

कम उम्र में विवाह:कल्पना जी जिस society से हैं वहां लड़कियों को “ज़हर की पुड़िया” की संज्ञा दी जाती थी, इसीलिए लड़कियों की शादी जल्दी करके अपना बोझ कम करने का चलन था। जब कल्पना जी 12 साल की हुईं और सातवीं कक्षा में पढ़ रही थीं तभी समाज के दबाव में आकर उनके पिता ने उनकी पढाई छुडवा दी और उम्र में बड़े एक लड़के से शादी करवा दी। शादीके बाद वो मुंबई चली गयीं जहाँ यातनाए पहले से उनका इंतजार कर रहीं थीं।

कल्पना जी ने एक इंटरव्यू में बताया-मेरे ससुराल वाले मुझे खाना नहीं देते, बाल पकड़कर बेरहमी से मारते, जानवरों सेभी बुरा बर्ताव करते। कभी खाने में नमक को लेकर मार पड़ती तो कभी कपड़े साफ़ ना धुलने पर धुनाई हो जाती।ये सब सहते-सहते कल्पना जी जी स्थिति इतनी बुरी हो चुकी थी कि जब 6 महीने बाद उनके पिता उनसे मिलने आये तो उनकी दशा देखकर उन्हें गाँव वापस लेकर चले गये।

आत्महत्या का प्रयास:जब शादी-शुदा लड़की मायके आ जाती है तो समाज उसे अलग ही नज़र से देखता है। आस-पड़ोस के लोग ताने कसते, तरह-तरह की बातें बनाते। पिताजी ने दुबारा पढ़ाने की भी कोशिश की पर इतना दुःख देख चुकी लड़की का पढाई में कहाँ मन लगता!हर तरफ से मायूस कल्पना को लगा की जीना मुश्किल है और मरना आसान है ! उन्होंने कहीं से खटमल मारने वाले ज़हर की तीन बोतलें खरीदीं और चुपके से उसे लेकर अपनी बुआ के यहाँ चली गयीं।बुआ जब चाय बना रही थीं तभी कल्पना ने तीनो बोतलें एक साथ पी लीं…
बुआ चाय लेकर कमरे में घुसीं तो उनके हाथ से कप छूटकर जमीन पर गिर गए…देखा कल्पना के मुंह से झाग निकल रहा है! अफरा-तफरी में डॉक्टरों की मदद ली गयी…बचना मुश्किल था पर भगवान् को कुछ और ही मंजूर था और उनकी जान बच गयी! यहीं से कल्पना जी का जीवन बदल गया। उन्हें लगा की ज़िन्दगी ने उन्हें एक और मौका दिया है….

a second chance.वो कहती हैं-जब मैं बच गयी तो सोचा कि जब कुछ करके मरा जा सकता है तो इससे अच्छा ये  है  किकुछ करके जिया जाए! और उन्हें अपने अन्दर एक नयी उर्जा महसूस हुई, अब वो जीवन में कुछ करना चाहती थीं।इस घटना के बाद उन्होंने कई जगह नौकरी पाने की कोशिश की पर उनकी छोटी उम्र और कम शिक्षा की वजह से कोई भी काम न मिल सका, इसलिए उन्होंने मुंबई जाने का फैसला किया।मुंबई की ओर कदम:16 साल की उम्र में कल्पना जी अपने चाचा के पास मुंबई आ गयी। वो सिलाई का काम जानती थीं, इसलिए चाचा जी उन्हें एक कपड़े की मिल में काम दिलाने ले गए। उस दिन को याद करके कल्पना जी बताती हैं, “ मैं मशीन चलाना अच्छे से जानती थी पर ना जाने क्यों मुझसे मशीन चली ही नहीं, इसलिए मुझे धागे काटने का काम दे दिया गया, जिसके लिए मुझेरोज के दो रूपये मिलते थे।”कल्पना जी ने कुछ दिनों तक धागे काटने का काम किया पर जल्द ही उन्होंने अपना आत्मविश्वास वापस पा लिया और मशीन भी चलाने लगीं जिसके लिए उन्हें महीने के सवा दो सौ रुपये मिलने लगे।इसी बीच किन्ही कारणों से पिता की नौकरी छूट गयी। और पूरा परिवार आकर मुंबई में रहने लगा।

गरीबी की चोट:धीरे-धीरे सबकुछ ठीक हो रहा था कि तभी एक ऐसी घटना घटी जिसने कल्पना जी को झकझोर कर रख दिया। उनकी बहन बहुत बीमार रहने लगी और इलाज के पैसे न होने के कारण एक दिन उसकी मौत हो गयी। तभी कल्पना जी को एहसास हुआ कि दुनियामें सबसे बड़ी कोई बीमारी है तो वह है – गरीबी ! और उन्होंने निश्चय कर लिया कि वो इस बीमारी को अपने जीवन से हमेशा के लिए ख़त्म कर देंगी।

सफलता की तरफ कदम:कल्पना ने अपनी जिन्दगी से गरीबी मिटाने का प्रण लिया। उन्होंने अपने छोटे से घर में ही कुछ सिलाई मशीने लगा लीं और 16-16 घंटे काम करने लगीं; उनकी कड़ी मेहनत करने की ये आदत आज भी बरकरार है।सिलाई के काम से कुछ पैसे आ जाते थे पर ये काफी नहीं थे, इसलिए उन्होंने बिजनेस करने का सोचा। पर बिजनेस के लिएतो पैसे चाहिए होते हैं इसलिए वे सरकार से लोन लेने का प्रयास करने लगीं। उनके इलाके में एक आदमी था जो loan दिलाने का काम करता था। कल्पना जी रोज सुबह 6 बजे उसके घर के सामने जाकर बैठ जातीं। कई दिन बीत गए पर वो इनकी तरफ कोई ध्यान नहीं देता था पर 1 महीने बाद भी जब कल्पना जी ने उसके घर के चक्कर लगाने नहीं छोड़े तो मजबूरन उसे बात करनी पड़ी।उसी आदमी से पता चला कि अगर 50 हज़ार का लोन चाहिए तो उसमे से 10 हज़ार इधर-उधर खिलाने पड़ेंगे। कल्पना जी इस चीज के लिए तैयार नहीं थीं और इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर एक संगठन बनाया जो लोगों को सराकरी योजनाओं के बारे में बताता था और लोन दिलाने में मदद करता था। धीरे-धीरे ये संगठन काफी पोपुलर हो गया और समाज के लिए निःस्वार्थ भाव से काम करने के कारण कल्पना जी की पहचान भी कई बड़े लोगों से हो गयी।उन्होंने खुद भी महाराष्ट्र सरकार द्वारा चलायी जा रही महात्मा ज्योतिबा फुले योजना के अंतर्गत 50,000 रूपये का कर्ज लिया और 22 साल की उम्र मे फर्नीचर का बिजनेस शुरू किया जिसमे इन्हें काफी सफलता मिली और फिर कल्पना जी ने एक ब्यूटी पार्लर भी खोला। इसके बाद कल्पना जी ने स्टील फर्नीचर के एक व्यापारी से दोबारा विवाह किया लेकिन वे 1989 में एक पुत्री और एक पुत्र का भार उन पर छोड़ कर वे इस दुनिया से चले गये।

बड़ी कामयाबी एक दिन एक आदमी कल्पना जीke पास आया और उसने अपना प्लाट 2.5 लाख का बेचने के लिए लिए कहा।कल्पना जी ने कहा मेरे पास 2.5 लाख नही है ,उसने कहा आप एक लाख मुझे अभी दे दीजिये बाकी का आप बाद में दे दीजियेगा। कल्पना जीने अपनी जमा पूंजी और उधार मांगकर 1 लाख उसे दिए लेकिन बाद में उन्हें पता चला की ज़मीन विवादस्पद है, और उसपरकुछ बनाया नहीं जा सकता। उन्होंने 1.5-2 साल दौड़-भाग करके उस ज़मीन से जुड़े सभी मामले सुलझा लिए और 2.5 लाख की कीमत वाला वो प्लाट रातों-रात को 50 लाख का बन गया।

हत्या की साजिश एक औरत का इनती महंगी ज़मीन का मालिक बनना इलाके के गुंडों को पचा नहीं और उन्होंने कल्पना जी की हत्या की साजिश बना डाली। पर ये उनके अच्छे कर्मों का फल ही था कि हत्या से पहले किसी ने इस साजिश के बारे में उन्हें बता दिया और पुलिस की मदद से वे गुंडे पकड लिए गए।
इसके बाद कल्पना जी अपने पास एक लाइसेंसी रिवाल्वर भी रखने लगीं. उनका कहना था कि मैं बाबा साहेब के इस वचन में यकीन रखती हूँ कि-सौ दिन भेड़ की तरह जीने से अच्छा है एक दिन शेर की तरह जियो।
आत्महत्या के प्रयास के दौरान वो मौत को इतनी करीब से देख चुकी थीं कि उनके अन्दर से मरने का डर कबका खत्म हो चुका था, उन्होंने अपने दुश्मनों को साफ़-साफ़ चेतावनी दे दी –इससे पहले की तुम मुझे मारो जान लो की मेरी रिवाल्वर में 6 गोलियां हैं। छठीगोली ख़त्म होने के बाद ही कोई मुझे मार सकता है।ये मामला शांत होने के बाद उन्होंने ज़मीन पर construction करने की सोची पर इसके लिए उनके पास पैसे नहीं थे इसलिए उन्होंने एक सिन्धी बिजनेसमैन से पार्टनरशिप कर ली। उन्होंने कहा जमीन मेरी है और बनाना आपको है। उसने मुनाफे में 65% अपना और 35 % उनका पर बात मान ली इस प्रकार से कल्पना जी ने 4.5 करोड़ रूपये कमाए।
कमानी ट्यूब्स की बागडोर:Kamani Tubes की नीव Shri N.R Kamani द्वारा 1960 में डाली गयी थी। शुरू मेंतो कम्पनी सही चली पर 1985 में labour unions और management में विवाद होने के कारण में ये कम्पनी बंद हो गयी। 1988 में supreme court के आर्डर के बाद इसे दुबारा शुरू किया गया पर एक ऐतिहासिक फैसले में कम्पनी का मालिकाना हक workers को दे दिया गया। Workers इसे ठीक से चला नहीं पाए और कम्पनी पर करोड़ों का कर्ज आता चला गया।इस स्थिति से निकलने के लिए कमानी ट्यूब्स कम्पनी के workers सन 2000 में कल्पना जी के पास गये। उन्होंने सुन रखा था कि कल्पना सरोज अगर मिट्टी को हाथ लगा दे तो मिट्टी भी सोना बन जाती है।कल्पना जी ने जब जाना कि कम्पनी 116 करोड़ के कर्ज में डूबी हुई है और उस पर 140 litigation के मामले हैं तो उन्होंने उसमे हाथ डालने से मन कर दिया पर जब उन्हें बताया गया कि इस कम्पनी पर 3500 मजदूरों और उनके परिवारों का भविष्य निर्भर करता है और बहुत से workers भूख से मर रहे हैं और भीख मांग रहे हैं, तो वो इसमें हाथ डालने को तैयार हो गयीं।
बोर्ड में आते ही उन्होंने सबसे पहले 10 लोगों की कोर टीम बनायी, जिसमे अलग-अलग फील्ड के एक्सपर्ट थे। फिर उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार करायी कि किसका कितना रुपया बकाया है; उसमे banks के ,government के और उद्योगपतियों के पैसे थे। इस प्रक्रिया में उन्हें पता चला कि कंपनी पर जो उधार था उसमे आधे से ज्यादा का कर्जा पेनाल्टी और इंटरेस्ट था।
कल्पना जी तत्कालीन वित्त मंत्री से मिलीं और बताया कि कमानी इंडस्ट्रीज के पास कुछ है ही नही, अगर आप interest और penalty माफ़ करा देते हैं, तो हम creditors का मूलधन लौटा सकते हैं। और अगर ऐसा न हुआ तो कोर्ट कम्पनी का liquidation करने ही वाला है, और ऐसा हुआ तो बकायेदारों को एक भी रुपया नही मिलेगा।
वित्त मंत्री ने बैंकों को कल्पना जी के साथ मीटिंग करने के निर्देश दिए। वे कल्पना जी की बात से प्रभावित हुएऔर न सिर्फ ने सिर्फ penalty और interests माफ़ किये बल्कि एक lady entrepreneur द्वारा genuine efforts को सराहते हुए कर्ज मूलधन से भी 25% कम कर दिया।
पद्मश्री पुरस्कार लेते हुएकल्पना ji ka photo apko is post ke niche dhik jayega
2000 से कम्पनी के लिए संघर्ष कर रही थीं और 2006 में कोर्ट ने उन्हें कमानी इंस्ट्रीज का मालिक बना दिया। कोर्ट ने ऑडर दिया कि कल्पना जी को 7 साल में बैंक के लोन चुकाने के निर्देश दिए जो उन्होंने 1 साल में ही चुका दिए। कोर्ट ने उन्हें वर्कर्स के बकाया wages भी तीन साल में देने को कहे जो उन्होंने तीन महीने में ही चुका दिए। इसके बाद उन्होंने कम्पनी को modernizeकरना शुरू किया और धीरे-धीरे उसे एक सिक कंपनी से बाहर निकाल कर एक profitable company बना दिया। ये कल्पना सरोज जी का ही कमाल है कि आज कमानी ट्यूब्स 500 करोड़ से भी ज्यादा की कंपनी बन गयी है।

उनकी इस महान उपलब्धि के लिए उन्हें 2013 में पद्म श्री सम्मान से भी नवाज़ा गया और कोई बैंकिंग बैकग्राउंड ना होते हुए भी सरकार ने उन्हें भारतीय महिला बैंक के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स में शामिल किया।सचमुच, कल्पना जी की ये कहानी कल्पना से भी परे है और हम सभी को सन्देश देती है कि आज हम चाहे जैसे हैं, पढ़े-लिखे…अनपढ़अमीर..गरीब…इन सबसे कोई फर्क नहीं पड़ता… हम अपनी सोच से… अपनी मेहनत से अपनी किस्मत बदल सकते हैं…हम असंभव को भी संभव बना सकते हैं और अपने बड़े से बड़े सपनो को भी पूरा कर सकते हैं!
DOSTO ye post mene achikhabar.com se liya hai agar apko kuch banna hai to ye best site hai apne andar ki nirasha ko bhar nikalne ke liye.
Dosto muje to kalpna ji ki story bahut bahut bahut hi bahut achi lgai m bhi kosis krungi apne DREAMS ko pura krne ki m puri lagan se kosis kr rahi hu apne sapno ke liye ap dua jarur krna or comments bhi.....……………………THANKS

Sunday, January 17, 2016

Mota hone ka saral upay

Hello Frands मोटा होने के आसान तरीके इस ब्लॉग में लिखे गये हैं जिन्हें पढ़कर अपने जीवन का हिस्सा बनाये |
आपको जानकर अजीब लग सकता हैं पर वजन घटाने और बढ़ाने के लिए सामान्यत एक ही प्रकार के कार्यों को रोजमर्रा में शामिल किया जाता हैं | दोनों के लिए ही नियमित शारीरिक व्यायाम आवश्यक हैं | कई लोग ऐसा सोचते हैं कि आलू, घी या अन्य वसायुक्त पदार्थ खा कर और दिन भर आराम करके वजन बढ़ाया जा सकता हैं | ऐसा करने से वजन तो बढ़ सकता हैं लेकिन आपको स्वस्थ्य शरीर नहीं मिल सकता |वजन कम हो या अधिक पर शरीर स्वस्थ्य होना ज्यादा आवश्यक हैं | स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग का वास होता हैं | आज के वक्त में जहाँ बीमारी एक्सपोनेंशियल ग्रोथ पर हैं वही शरीरमें इनसे लड़ने की शक्ति बहुत कम होती जा रही हैं | जिसका कारण हैं अपने खान पान, नींद एवम शारीरिक श्रम को नजरंदाज करना |शरीर अधिक मोटा हो या पतला दोनों ही चिंता का कारण हैं।

वजन बढ़ाने/मोटा होने  के लिए निम्न आवश्यक बिन्दुओं को अपने जीवन का हिस्सा बनाये ।
नियमित योग: वजन बढ़ाने के लिए भोजन का सही तरह से पाचन आवश्यक हैं जिसके लिए शारीरिक श्रम जरुरी हैं जिसमे आप जिम, नियमित वाक, योग अथवा प्राणायाम कर सकते हैं.

सूर्य नमस्कार एक अत्यंत प्रभावशाली क्रिया हैं जिसे आप अपने जीवन का हिस्सा बनाये जो आपको सुन्दर एवम स्वस्थ जीवन देगा |

जिम में आप स्क्वेट, डेड लीफ, बेंच प्रेस जैसे पेशीय व्यायाम करें जिससे शरीर में मांसपेशी बढ़ेगी और शरीर मजबूत होगा जिससे दुर्बलता खत्म होगी

नींद बहुत आवश्यक हैं: जिस तरह पानी, भोजन, स्वांस जीवन के लिए जरुरी हैं उसी प्रकार नींद भी बहुत आवश्यक हैं | शरीर को नियमित योग के साथ आराम बहुत जरुरी हैं इससे metabolism बढ़ता हैं जो शरीर के दुबले अथवा मोटे होने का मुख्य कारण हैं|

नींद ना आना भी दुबले होने का एक मुख्य कारण हैं अगर आप उचित व्यायाम कर रहे हैं तो आपको अवश्य नींद आएगी | जिम में वजनी व्यायाम के बाद शरीर को आराम गहरी और अच्छी नींद से ही मिलता हैं| फिर भी कोई परेशानी हैं तो डॉक्टर से बात करे | नींद को कभी नजरंदाजना करें.

पानी की उचित मात्रा ले: नियमित 4 लीटर पानी पीये जिससे जहरीले पदार्थ शरीर के बहार होंगे | पानी पीने से भोजन सही तरह से पचेगा और शरीर को फुर्ती देगा | पानी पीने से ताकत बनी रहती हैं और व्यायाम करने में कमजोरी का अनुभव नहीं होता .

प्रोटीन और कार्ब्स को भोजन में स्थान दे: प्रोटीन युक्त पदार्थ ले जिससे शरीर में मांस पेशी बढ़े इसके साथ कार्ब्स भी ले इन दोनों का मेल वजन बढ़ाने में मददगार होता हैं| इसके लिए अंडा, चिकन, मछली आदि ले सकते हैं अगर आप शाखाहारी हैं तो दाल, मूंगफली, पनीर, स्प्राउट्स आदि ले ।

भोजन में नियमितता:नाश्ता अवश्य करें | हर दो घंटे में कुछ न कुछ खाएं भोजन चबाकर खाये फलों का उचित सेवन करें |

केलोरी मापन :भोजन के एक साथ भर कर ना खाये पर थोड़ी थोड़ी देर में खाये | केलोरी का ध्यान रखें अपने रोज के खाने से 400 केलोरी ज्यादा ले | इसके लिए एक बार डायीटीशीयन से बात करें |

दूध को अवश्य पियें:दूध को नाश्ते एवम रात्रि में सोते समय ले | दूध के साथ दो केले खाने से भी वजन बढ़ता हैं केले को नियमित रूप से खाये यह वजन बढ़ाने / मोटा होने के लिए बहुत ज़रूरी है।

शरीर को निरोग रखना भी आवश्यक हैं इसलिए तेलीय पदार्थ से वजन बढ़ाने की कोशिश ना करें | साथ ही व्यायाम केवल वजन कम करने के लिए हीनहीं बढ़ाने के लिए भी उतना ही आवश्यक हैं ।

Thursday, January 14, 2016